भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने रविवार को 16 आईपीएस अफसरों के तबादले कर दिए। इसमें उसने चहेते अफसरों को महत्वपूर्ण पदों से नवाज दिया है। इन तबादलों के पीछे शिवराज सरकार की क्या भूमिका रही और किस अफसर पर मेहरबानी व किस पर नाराजगी जताई गई, इसकी पूरी इनसाइड स्टोरी आपको इस खबर में पढऩे मिलेगी। आइए जानते हैं इन तबादलों के पीछे की पूरी कहानी…
सरकार से थी नजदीकी तो बन गए डीजी जेल
डीजीपी की दौड़ में रहे स्पेशल डीजी इंटेलीजेंस सर्वजीत सिंह मप्र पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष होंगे। वहीं मुख्यमंत्री के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी राजीव कुमार टंडन को एडीजी इंटेलीजेंस की जिम्मेदारी दी गई है। सरकार से नजदीकी रखने वाले संचालक लोक अभियोजन संजय चौधरी नए डीजी जेल बन गए हैं।
इसलिए हटा दिए गए अनूपपुर एसपी
मातहतों पर नियंत्रण नहीं रखने के कारण अनूपपुर एसपी को हटा दिया गया है। उनके एक इंस्पेक्टर ने भाजपा नेता का आडियो जारी कर दिया था। शर्मा को एसपी बने अभी डेढ़ साल भी नहीं हुआ था। सूत्रों ने बताया कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एसपी अनूपपुर पर गाज गिरी। उनके एक इंस्पेक्टर सुनील गुप्ता के खिलाफ मुख्यमंत्री को जनदर्शन में अड़ीबाजी की शिकायत मिली थी। इसके बाद आईजी शहडोल डीके आर्य ने गुप्ता को लाइन अटैच और फिर जांच के बाद सस्पेंड कर दिया था।
वायरल ऑडियो पर भी दी सजा
इसके अगले दिन ही टीआई ने नगर पालिका अध्यक्ष एवं भाजपा नेता रामअवध सिंह से हुई मोबाइल पर चर्चा का आडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया था। इसे सरकार ने गंभीरता से लिया, जिसका खामियाजा एसपी को तबादले के रूप में भुगतना पड़ा। उन्हें लूपलाइन में पदस्थ कर दिया गया। इसी तरह एसपी कटनी गौरव तिवारी से विवाद के कारण एडीजी लोकायुक्त अशोक अवस्थी को प्रतिनियुक्ति से वापस बुला लिया गया। अवस्थी पर एक मामले में तिवारी ने दबाव डालने का आरोप लगाते हुए नौकरी तक से इस्तीफा देने की धमकी दे दी थी। यह शिकायत भी सरकार तक पहुंची थी। उनके तबादले के पीछे इसे ही वजह माना जा रहा है।
चंद मिनट में बदला आदेश
गृह विभाग को तबादला सूची को चंद मिनट में संशोधन करना पड़ा। दरअसल सूची में पहले डीआईजी सीआईडी राजेश्वर प्रसाद सिंह को इंदौर डीआईजी (शहर) पदस्थ कर दिया गया था। वहां डीआईजी संतोष कुमार सिंह तैनात हैं। चर्चा चली कि सूची में संशोधन मंत्री ने कराया। हालांकि विभाग के अफसरों का तर्क है कि डीआईजी इंदौर (ग्रामीण) का ही पद रिक्त था, जहां राजेश्वर प्रसाद की पदस्थापना करना थी लेकिन भूलवश ग्रामीण की जगह शहर लिखा गया। इस कारण संशोधन आदेश जारी करना पड़ा।
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